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सोहनी महिवाल की प्रेम कहानी

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                                           सोहनी महिवाल की प्रेम कहानी सोहनी महिवाल की प्रेम कहानी पंजाब और सिंध की चार सबसे लोकप्रिय कहानियों में से एक है. अन्य तीन हीर-राँझा,सस्सि-पुन्नूं और मिर्ज़ा साहिबा की प्रेम कहानियाँ हैं । पंजाब में चेनाब नदी के किनारे एक "तुला" नाम का कुम्हार  रहता था,जो की सबसे प्यारे मटके और मिटटी के बर्तन बनता था और पुरे इलाके में अपने काम के लिए प्रसिध्द था। उसके बने हुए सुन्दर बर्तन खरीदने के लिये  पूरी  दुनिया से लोग आते थे।   कुछ ही दिनों में तुला की एक सुन्दर सी बेटी पैदा हुई। तुला ने और उसकी पत्नी ने उससे सुन्दर बच्ची आज तक नही देखि थी इसीलिए उन्होंने उसका नाम  सोहनी(पंजाबी में "सुन्दर")  रखने  का निस्चय किया। सोहनी बढ़ती बढ़ती और सुन्दर और प्यारी हो गयी।  तुला ने अपनी बेटी को भी उसकी तरह ही सुन्...

ढोला मारू की प्रेम कहानी

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                                                                                    ढोला मारू की प्रेम कहानी                         राजस्थान की मिट्टी वीरो के शौर्य और बलिदान के लिए मशहूर है। यहां के योद्धाओं की गाथाएं आज भी बड़े गर्व से सुनाई जाती हैं। केवल वीरों की गाथाएं नहीं हैं बल्कि उनकी कई की वसुंधरा पर कई प्रेम कहानियां भी हैं, जो आज भी बहुत प्रचलित हैं। लेकिन आज हम आपको बता रहे है राजस्थान की सबसे चर्चित प्रेम कहानी जो इतिहास में ‘ढोला-मारू’ की प्रेम ...

लैला मजनू की प्रेम कहानी

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                                                            लैला मजनू की प्रेम कहानी जब भी कहीं पर प्यार और महब्बत का जिक्र होता है तो सबसे पहले लैला और  प्रेम कहानी का नाम लिया जाता है कइस इब्न अल-मुल्लाह इब्न मुज़ाहिम एक कवि, जो कि अरब के बानी आमिर जनजाति से था । वह शाह अमीरी  का  बेटा था।  खूबसूरत और बेहद आकर्षक व्यक्तित्व की मल्लिका को जब उसने दमिश्क़ के मदरशे में देखा तो पहली नज़र में ही उसे अपना दिल  दे बैठा और उसे उसी प्यार हो गया । उसके पिता ने उसे बहुत समझाया की वह प्यार व्यार की बातैं भूलकर सारा धयान अपनी पढाई पर लगाए लेकिन वह कहाँ किसी की मानने वाला था ।   यहीं से शुरू हुई लैला और मजनू की प्रेम कहानी जिसके एक सिरे पर प्रेम था और दूसरे सिरे पर अलगाव।  दोनों चीजें निश्चित थी लेकिन कहते हैं न की प्यार करने वाले कब किसी से डरते हैं धीरे धीरे क़ैस  की मोहब्बत का असर लैला पर भी होने...

मिर्ज़ा साहिबा की प्रेम कहानी

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                                                                      मिर्ज़ा साहिबा की प्रेम कहानी   मिर्जा का जनम पंजाब के के दानाबाद नामक गाँव में और साहिबा का जनम खेवा नामक गाँव में हुआ था जैसे ही मिर्ज़ा आठ साल का हुआ तब उसके माता पिता ने उसे उसके मामा के यहाँ पढ़ने भेजने के बारे में सोचा। उन दिनों यह सब सामान्य बात थी। और मिर्ज़ा को उसके मामा के यहाँ पढ़ने भेज दिया गया और उसके मामा ने उसका वहां की मस्जिद में पढ़ने के लिए मोलवी साहेब के वहां पर भेज दिया। ठीक उसी मोलवी साहेब के पास ही साहिबा भी पढ़ती थी और इसी बीच उनकी बहुत ही गहरी दोस्ती हो गयी।  उम्र बढ़ते बढ़ते बढ़ते उनकी यह दोस्ती कब प्यार में बदल गयी पता ही नही चला और धीरे धीरे उनकी नजदीकियां बढ़ती ही चली गयी। और जब मोलवी साहेब को यह पता चला तो उनको यह बात रास नही आई। पर उन दोनों को किसी की भी परवाह कहाँ थी। मानव समाज हमेशा ...

सस्सी पुन्नू की प्रेम कहानी

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                                                                                                     सस्सी पुन्नू की प्रेम कहानी सस्सी का जनम भंबोर राज्य के राजा के घर तब हुआ जब राजा अपने घर में नन्हे बालक की किल्कारी सुनने को सालों तक तरस चुका था...! लाख मिन्नतों, मन्नतों, दान- दक्षिणा के बाद एक खूबसूरत सी नन्ही परी ने राजा के आंगन को अपनी किलकारियो से नवाजा ! परंतु हाय री नियति...!  जन्म के साथ ही ज्योतिषियो ने भविष्यवाणी कर दी की ये बच्ची बडी हो कर (कामल इश्क) अनोखा इश्क करेगी....! ये सुनते ही राजा और उसके समस्त परिवार के खिले चेहरे स्याह पड गये ! अभी तो वे अपनी चांद सी बेटी का जश्न भी नही मना पाये थे कि  भविष्यवाणी ने उनका उत्साह ठंडा कर दिया...! सदियों से यही तो विडंबना है हमारे समाज की.....

हीर-रांझा के प्यार की कहानी

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हीर-रांझा के प्यार की कहानी चेनाब नदी के किनारे एक खूबसूरत जगह है- तख़्त हजारा। यहाँ बहने वाले दरिया की लहरें और बगीचे की खुशबू की वजह से इसे पूरब का स्वर्ग कहा जाता है। यही रांझाओं की धरती है जो मस्ती से यहाँ रहते हैं। इस बस्ती के नौजवान खूबसूरत और बेपरवाह किस्म के हैं। वे कानों में बालियाँ पहनते हैं और कंधे पर नए शॉल रखते हैं। उनको अपनी खूबसूरती पर गर्व है और सभी इसमें एक-दूसरे को मात देते दिखते हैं। इसी बस्ती का मुखिया था जमींदार मौजू चौधरी। वह आठ बेटे और दो बेटियों का बाप था। वह बहुत धनी और खुशहाल था और कुनबे में सभी उसका सम्मान करते थे। सभी बेटों में वह रांझा को सबसे ज़्यादा प्यार करता था। इस कारण रांझा के बाकी भाई उससे बहुत जलते थे। उनके पिता के मरने के बाद ही उन्होंने राँझा को बात बात पर ताने मारने शुरू कर दिए और धोखे से ज़मीन की हिस्सेदारी में सारी अच्छी ज़मीन अपने पास रख ली और रांझे के हिस्से में बंजर ज़मीन दे दी इसी  बात से दुखी होकर राँझा ने अपना घर छोड़ दिया और इधर उधर भटकने लगा , अपने भाइयों से अलग होकर वह सारा दिन पेड़ों के नीचे बैठा रहता र...