हीर-रांझा के प्यार की कहानी
चेनाब
नदी के किनारे एक खूबसूरत जगह है- तख़्त हजारा। यहाँ बहने वाले दरिया की
लहरें और बगीचे की खुशबू की वजह से इसे पूरब का स्वर्ग कहा जाता है। यही
रांझाओं की धरती है जो मस्ती से यहाँ रहते हैं। इस
बस्ती के नौजवान खूबसूरत और बेपरवाह किस्म के हैं। वे कानों में बालियाँ
पहनते हैं और कंधे पर नए शॉल रखते हैं। उनको अपनी खूबसूरती पर गर्व है और
सभी इसमें एक-दूसरे को मात देते दिखते हैं। इसी
बस्ती का मुखिया था जमींदार मौजू चौधरी। वह आठ बेटे और दो बेटियों का बाप
था। वह बहुत धनी और खुशहाल था और कुनबे में सभी उसका सम्मान करते थे। सभी
बेटों में वह रांझा को सबसे ज़्यादा प्यार करता था। इस कारण रांझा के बाकी
भाई उससे बहुत जलते थे।उनके पिता के मरने के बाद ही उन्होंने राँझा को बात बात पर ताने मारने शुरू कर दिए और धोखे से ज़मीन की हिस्सेदारी में सारी अच्छी ज़मीन अपने पास रख ली और रांझे के हिस्से में बंजर ज़मीन दे दी
इसी बात से दुखी होकर राँझा ने अपना घर छोड़ दिया और इधर उधर भटकने लगा,
अपने भाइयों से अलग होकर वह सारा दिन पेड़ों के नीचे बैठा रहता
इसी बात से दुखी होकर राँझा ने अपना घर छोड़ दिया और इधर उधर भटकने लगा,
अपने भाइयों से अलग होकर वह सारा दिन पेड़ों के नीचे बैठा रहता
रांझा को बचपन में ही खूबसूरती से इश्क
था। उसने अपने लिए सपनों में ही एक हसीना की तस्वीर गढ़ ली थी। और अपने सपनों की शहजादी के बारे में सोचा करता था। एक दिन वह किसी पेड़ के नीच विश्राम कर रहा था। तभी एक पीर वहां से गुज़रा और उस पीर ने उससे पूछा-तुम इतने दुःखी क्यों हो? तब रांझा ने पीर को अपने द्वारा
रचित प्रेम गीत सुनाए, जिसमें सपनों की शहजादी का उल्लेख था। पीर ने बताया
कि तुम्हारे सपनों की शहजादी हीर के अलावा और कोई नहीं हो सकती। यह सुन
रांझा अपनी हीर की तलाश में निकल पड़ा।
हीर के पिता एक बहुत बड़े सौदागर थे और हीर एक बाग़ में रोजाना अपनी सखियों के साथ खेलने जाती थी। हीर बहुत सख्त दिमाग वाली लड़की थी। एक रात रांझा गलती से हीर की नाव में सो गया। राँझा को अपनी नांव में सोते हुए देखकर हीर आगबबूला हो उठी और उसे जगाने की कोशिश करने लगी,राँझा बहुत ही गहरी नींद में सो रहा था। अचानक से हीर की आवाज़ सुनकर राँझा उठा और हीर से अपनी गलती की माफ़ी मांगी लेकिन जैसे ही हीर ने जवाँ मर्द रांझे को देखा, वह अपना गुस्सा भूल गई और रांझा को देखती ही रह गई। राँझा ने जब हीर का परिचय पूछा और हीर ने अपना नाम बताया तब रांझा ने उसे अपने सपनों की बात कही। रांझे पर फिदा हीर उसे अपने घर ले गई और अपने यहाँ नौकरी पर रखवा दिया। अब राँझा रोजाना हीर के पिता के यहाँ पर उसकी भैंस चराता था
हीर के पिता एक बहुत बड़े सौदागर थे और हीर एक बाग़ में रोजाना अपनी सखियों के साथ खेलने जाती थी। हीर बहुत सख्त दिमाग वाली लड़की थी। एक रात रांझा गलती से हीर की नाव में सो गया। राँझा को अपनी नांव में सोते हुए देखकर हीर आगबबूला हो उठी और उसे जगाने की कोशिश करने लगी,राँझा बहुत ही गहरी नींद में सो रहा था। अचानक से हीर की आवाज़ सुनकर राँझा उठा और हीर से अपनी गलती की माफ़ी मांगी लेकिन जैसे ही हीर ने जवाँ मर्द रांझे को देखा, वह अपना गुस्सा भूल गई और रांझा को देखती ही रह गई। राँझा ने जब हीर का परिचय पूछा और हीर ने अपना नाम बताया तब रांझा ने उसे अपने सपनों की बात कही। रांझे पर फिदा हीर उसे अपने घर ले गई और अपने यहाँ नौकरी पर रखवा दिया। अब राँझा रोजाना हीर के पिता के यहाँ पर उसकी भैंस चराता था
धीरे धीरे हीर-रांझा की मुलाकातें मोहब्बत में बदल गई,लेकिन एक दिन हीर के चाचा को इसकी भनक लग गई और हीर की शादी दूसरे गाँव कर दी गई। और हीर के प्यार में राँझा दुनिया की सब मोहमाया छोड़ कर एक फ़कीर बन गया
रांझा फकीर बनकर गाँव-गाँव घूमने लगा। जब वह हीर के गाँव में पहुँचा तो
उसकी आवाज सुनकर हीर बाहर आई और उसे भिक्षा देने लगी। दोनों एक-दूसरे को फिर से
देखते रह गए। अब रांझा रोजाना फकीर बनकर आता और हीर उसे भिक्षा देने। दोनों
रोजाना मिलने लगे। एक दिन यह सब हीर की भाभी ने देख लिया। उसने हीर को टोका तो रांझा
गाँव के बाहर चला गया। इसी बीच वह उसी वेश में एक पेड़ के नीचे विश्राम करने लगा और कुछ दिन तक उसने कुछ भी नही खाया पीया। गांव के सारे लोग उसे फकीर मानकर पूजने लगे। और धीरे धीरे उसकी जुदाई में
हीर बीमार हो गई। जब वैद्य हकीमों से उसका इलाज न हुआ तो कुछ लोगों ने उन्हें उस फ़कीर के पास जाने की सलाह दी। हीर के ससुर ने फकीर के पास जाकर उसकी मदद माँगी। फकीर हीर के घर चला आया। जैसे ही उसने हीर के
सिर पर हाथ रखा तो हीर की चेतना लौट आई। कुछ दिनों बाद जब लोगों को पता चला कि वह फकीर
रांझा है तो उन्होंने रांझा को पीटकर गाँव से बाहर धकेल दिया। एक दिन उस राज्य का राजा किसी चोर को पकड़ने में लगा हुआ था जिसने पुरे राज्य में उत्पात मचा रखा था और जब उसने राँझा को उस वेश में देखा तो उसने उसे ही चोर समझा और राजा ने
उसे चोर समझकर पकड़ लिया। राजा के पूछने पर राँझा ने राजा को पूरी सच्चाई बता दी। रांझा ने जब राजा को हकीकत बताई तो
उसने हीर के पिता को आदेश दिया कि वह हीर की शादी रांझा से कर दे। राजा की
आज्ञा के डर से उसके पिता ने मंजूरी तो दे दी, लेकिन उसी रात को उसने हीर को ज़हर पिला दिया ।
जब रांझा वापस लौटा और उसे हीर के मरने की खबर मिली तो उसने भी वहीं दम तोड़
दिया।
Heer-Ranjha Tombstone
हीर मर गई,
रांझा मर गया,
लेकिन उनकी मोहब्बत आज भी जिंदा है।
यह थी हीर-राँझा की सच्ची प्रेम कहानी की दास्तान
आपको यह कहानी कैसी लगी comment करके मुझे बताये और आगे और भी कहानिया लिखने के लिए प्रोत्साहन दें आप मुझे e-mail करके मुझे ज़रूर बताएं मेरी e-mail id हैं nk96verma@gmail.com
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लेकिन उनकी मोहब्बत आज भी जिंदा है।

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Very nice .
ReplyDeleteYe kahani bahut hi achchhi hai
ReplyDeleteक्या यह कहानी सच्ची है अगर सच्ची है तो हीर और रांझा अल्लाह और भगवान दोनों के रूप में इबादत बन के आए थे
ReplyDeleteThis love story is very nice.bt u explaine only half nd missing.bcz zahar uske chahu ne Diya tha kaido Jo here se bhut jelous feel krta tha
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ReplyDeleteTeton is a solid platinum alloy that has a strong core that is titanium aura quartz used to anchor its top silicone dab rig with titanium nail material does titanium set off metal detectors in high-carbon stainless titanium septum jewelry steel to ensure its titanium engagement rings strength and
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