सोहनी महिवाल की प्रेम कहानी

                                          सोहनी महिवाल की प्रेम कहानी




सोहनी महिवाल की प्रेम कहानी पंजाब और सिंध की चार सबसे लोकप्रिय कहानियों में से एक है. अन्य तीन हीर-राँझा,सस्सि-पुन्नूं और मिर्ज़ा साहिबा की प्रेम कहानियाँ हैं
पंजाब में चेनाब नदी के किनारे एक "तुला" नाम का कुम्हार  रहता था,जो की सबसे प्यारे मटके और मिटटी के बर्तन बनता था और पुरे इलाके में अपने काम के लिए प्रसिध्द था। उसके बने हुए सुन्दर बर्तन खरीदने के लिये  पूरी  दुनिया से लोग आते थे।   कुछ ही दिनों में तुला की एक सुन्दर सी बेटी पैदा हुई। तुला ने और उसकी पत्नी ने उससे सुन्दर बच्ची आज तक नही देखि थी इसीलिए उन्होंने उसका नाम  सोहनी(पंजाबी में "सुन्दर")  रखने  का निस्चय किया। सोहनी बढ़ती बढ़ती और सुन्दर और प्यारी हो गयी।  तुला ने अपनी बेटी को भी उसकी तरह ही सुन्दर और प्यारे मटके बनाने की हर कला सिखाई। 
तुला ने अपनी बेटी को भी उसकी तरह ही सुन्दर और प्यारे मटके बनाने की हर कला सिखाई। उम्र के साथ साथ तुला को दिखना कम हो गया,अब सिर्फ सोहनी ही मटके बनती थी। उसने अपनी कला भी उसमे मिलायी और उसके पिता से भी अचे मटके बनाने लगी। एक दिन उनके पास उज़बेकिस्तान  से  बुखारा का रहने वाला बहुत ही अमीर आदमी उसके मटके  खरीदने के लिए आया। उसका नाम इज़्ज़त बेग़ था। मटके पसंद करते हुए उसने सोहनी को देखा जोकि एक मटका बना रही थी और उसका पूरा धयान मटके पर ही था। उसको सोहनी से देखते ही प्यार हो गया। उसने सोहनी से उस मटके को खरीदने के लिया पूछा जो सोहनी बना रही थी। सोहनी ने कहा की  यह मटका अभी कच्चा है और इसे पकाना भीं पड़ेगा नही तो इसे खरीदने का कोई फ़ायदा नही होगा,तो उसने बोला की वह उस मटके को पकवाने के लिए कल फिर से आ जायेगा। इज़्ज़त बेग़ अब सोहनी से मटके खरीदने के लिए रोज़ाना आने लगा।  कुछ दिनों में उसके साथियो ने आना बांध कर दिया , तो इज़्ज़त ने वहीँ पर गाँव में रहने का निस्चय किया। और वहीँ पर गाँव में रहने लगा कुछ ही दिनों में उसके पास जो रूपए थे वो सब खत्म हो गए।     लेकिन फिर भी वो सोहनी के घर जाता था जब तुला को पता चला की इज़्ज़त के सारे रूपए खत्म हो गए हैं तो उसने इज़्ज़त को अपनी भैंस के चरवाहे के रूप में रखने के बारे में सोचा। इसी वजह से वह महिवाल( भैंस चराने वाला ) के नाम से जाना जाने लगा।
सोहनी भी महिवाल को रोज़ाना देखती थी वो जानती थी की वह सिर्फ सोहनी को देखने के लिए ही आता है। उसके मन में भी महिवाल के लिए प्यार बढ़ने लगा। जब कभी भी महिवाल देरी से आता तो सोहनी का दिल ज़ोरों से धड़कने लगता और उसे उसकी चिंता होने लगती। क्योंकि सोहनी को भी महिवाल के प्यार ने घेर लिया था। कुछ ही दिनों में दोनों ने अकेले में भी मिलना शुरू कर दिया। दोनों का मिलन बहुत ही खुशी से होता और बिछडन बहुत ही दुखदायक होता  था।  प्यार कभी भी किसी से छुपता नही है चाहे वह सोहनी महिवाल का ही  ही क्यों ना हो। जैसे  ही सोहनी के पिता को इसके बारे में पता चला तो उसने सोहनी की शादी पास के ही किसी कुम्हार के लड़के से करवा दी। और सोहनी अपने ससुराल चली गयी। और महिवाल भी सोहनी के गांव के पास नदी के किनारे रहने लगा। सोहनी  का पति मटको का सौदागर था जो की मटके बनाकर दूसरे शहरो में जाकर बेचता था।  सोहनी भी नदी की तरफ देखकर घंटो महिवाल का इंतज़ार करती थी।  एक दिन उसने सोचा ही वह पके हुए मटके को पकड़कर नदी पार कर सकती है क्योंकि उसको तैरना नहीं आता था। एक दिन वह घर से मटका लेकर निकल गयी और नदी को मटके की मदद से पार करने की कोसिस करने लगी ,जैसे ही महिवाल ने सोहनी को आते हुए देखा तोह वह खुशी से झूम उठा और सोहनी को हाथ देकर उसकी मदद की और नदी के दूसरी तरफ खींच लिया। दोनों बहुत
दिनों बाद मिले थे इसीलिए एक दूसरे को देखकर बहुत खुशी हुई और दोनों फिर से एक दूसरे के प्यार में खो गए। थोड़ी देर में सोहनी ने बोला की उसे भूख लगी है और  महिवाल  सोचने  लगा  की  इस  समय  उसके  पास कुछ भी नही है,और वह सोहनी को पेटभर खाना भी नही खिला सकता सोहनी भी उसकी दुविधा समझ गयी। तो दोनों ने कुछ और दिन इंतज़ार करने का फैसला किया और दोपहर से शाम कब हो गयी उन्हें पता ही नही चला। अब सोहनी का वापिस घर जाने का वक़्त हो गया और महिवाल के चेहरे पर उदासी छा गयी। अब सोहनी रोज़ाना एक मटका लेकर महिवाल से मिलने जाने लगी। लेकिन एक दिन सोहनी की भाभी को इसके बारे में पता चल गया और उसने पक्के मटके को कच्चे से बदल दिया। जैसे ही सोहनी ने मटका उठाया तो उसे पता चल गया की मटका बदल चूका है लेकिन महिवाल से मिलने की बेकरारी  में वह कच्चा मटका ही लेकर चली गयी। जैसे वह नदी को पार करने लगी मटके की मिटटी पिघलने लगी और  उसने महिवाल  को  आवाज़  दी जैसे ही उसने सोहनी को डूबते हुए देखा तो वह भी उसकी मदद करने के लिए नदी में कूद गया चूँकि दोनों को ही तैरना नही आता था तो दोनों ही उस नदी में समाहित हो गए। 



 

 और इस तरह खत्म हो गयी सोहनी महिवाल की अमर प्रेम कथा।

यह थी सोहनी महिवाल की सच्ची प्रेम कहानी की दास्तान
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